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Triple Talaq & Marriage Laws

तीन तलाक़ और शादी के कानून नज़रीया के साथ

सांगली, महाराष्ट्र, 15 अक्टूबर 2018 कुछ वक़्त से नज़रीया की महिलाओं के साथ चर्चा करते हुए, बहुत से मुद्दे सामने आए | सदस्यों ने बहुत सी चुनौतियाँ बताईं, उसमें से ऐसा महसूस हुआ के जमात के साथ काम करने में काफ़ी दिक्कत हो रही है - ज़्यादातर इसलिए क्योंकि जमात के इमाम इस्लाम को एक ही चश्में से देखते हैं, और औरतों पर बहुत सी पाबंदियाँ लगाते हैं | इसी को लेते हुए नज़रीया ने मुस्लिम निजी कानून पर अपनी समझ पक्की करने की ठान ली |

संग्राम संस्था ने बंगलौर की एक संस्था जो मानव अधिकारों पर कानून के ज़रिए से काम करते हैं, उनके साथ साझेदारी में कुछ चुनिंदा कानूनी मुद्दों पर ट्रेनिंग रखने की बात की | इस संस्था का नाम अल्टरनेटिव लॉ फोरम है, और वहां से हमारे साथ एडवोकेट मौहम्मद अफ़ीफ़ जुड़े |

पहली ट्रेनिंग तीन तलाक़ और शादी के विषय पर थी | इस एक दिन की ट्रेनिंग की शुरुवात ऐडवोकेट आर्थी पाई ने सभी प्रतिभागियों से तीन तलाक़ पे उनके सवालों को सबसे बाटने को कहा | ज़्यादातर प्रतिभागियों के सवाल भरण पोषण, बच्चों की हिरासत, और अगर तीन तलाक़ हो तो किस तरह के उपाय हैं; से संभंधित थे |

फ़िर मौहम्मद अफ़ीफ़ ने क़ुरान और हदीस में शादी और तलाक़ पे क्या लिखा है, सरल तरीके से बताया, और इस चर्चा में औरतों के हकों पर ज़ोर डाला | इस्लाम में क़ानून समझने और निभाने के जो अलग अलग घराने हैं- हनाफी, शाफ़ी, हन्बली और मालिकी पर भी बात हुई | तलाक़ के अलग अलग तरीकों पे चर्चा करी गई, जिसमें कुछ तरीकों से शौहर अपनी बेग़म को तलाक़ दे सकता है, और कुछ तरीकों से बेगम अपने शौहर को | इन् सब के अलावा कुछ तरीकें ऐसे भी हैं, जिसमें दोनों आपसी समझौते से भी तलाक़ दे सकते हैं | आख़री सेशन में तीन तलाक़ जजमेंट पर बात हुई | इसके बाद सांगली के आस पास के ज़िलों में जो मामले सामने आ रहें हैं उनपे बात चीत हुई |

ट्रेनिंग सिर्फ़ एक शुरुवात है, समझने - समझाने की प्रतिक्रिया का सफ़र अभी लंबा है |